EPFO : ईपीएफओ (EPFO) ने फाइनेंशियल ईयर 2021-22 के लिए 8.1 फीसदी ब्याज दर की घोषणा की है। जिसके बाद से ही प्राइवेट कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारी काफी निराश दिखाई दे रहे हैं। दरअसल कर्मचारी निराश हों भी क्यों नहीं। वित्त वर्ष 2020-21 के लिए इंटरेस्ट रेट 8.5 फीसदी था जिसे घटाकर अब 8.1 फीसदी कर दिया गया है। कर्मचारियों के सामने यह सवाल खड़ा हो गया है कि सरकार EPFO पर इंटरेस्ट क्यों घटा रही है।
Table of Contents
EPFO ने ब्याज दर का भुगतान करने में किया था विलंब
फाइनेंशियल ईयर 2019-20 में EPFO ने ब्याज दर का भुगतान करने में देर कर दी थी। जिसके बाद लगभग 6 करोड़ से भी ज्यादा उपभोक्ता परेशान हो गए थे। फिर सरकार की तरफ से 8.5 फीसदी इंटरेस्ट रेट की घोषणा कर दी गई थी। बाद में यह बात समझ में आ गई कि इतने इंटरेस्ट रेट का भुगतान कर पाना संभव नहीं है। आखिरकार 31 दिसंबर 2020 से उपभोक्ताओं के खाते में इंटरेस्ट का पैसा भेजना शुरू कर दिया गया था।
उस समय EPFO को ETF में 3000 करोड़ रूपए का इन्वेस्टमेंट बेचना पड़ गया था। कुछ विशेषज्ञों से मिली जानकारी के मुताबिक EPFO ने शेयर में इन्वेस्ट करने का जो निर्णय लिया है वो बिल्कुल सही है। इस फैसले से उसे ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाने में काफी सहायता मिलती है। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात तो ये है कि EPFO ने शेयर में इन्वेस्ट करने के लिए जिन फंडों का चयन किया है उन पर एक लंबे समय से सवाल खड़े होते रहे हैं।
EPFO ने जुलाई 2015 से शुरू किया शेयरों में इन्वेस्ट करना
बताते चलें कि जुलाई वर्ष 2015 में EPFO ने शेयरों में इन्वेस्ट करना प्रारंभ कर दिया था। शुरूआती दौर में EPFO ने अपना 5 फीसदी पैसा 3 एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ETF) में इन्वेस्ट कर दिया था। जिनमें UTI Nifty ETF, SBI ETF Nifty 50 तथा UTI Sensex ETF शामिल थे। इसके बाद इन शेयरों में 10 फीसदी निवेश बढ़ा दिया गया। वहीं 2017 में इसे बढ़ाकर 15 फीसदी कर दिया गया। इतना ही नहीं बल्कि 2 अन्य ETF में भी इन्वेस्ट करने का निर्णय लिया गया था।
जिनमें CPSE ETF तथा Bharat 22 ETF शामिल हैं। सरकारी कंपनियों में सरकार की हिस्सेदारी बेचने के लिए ही इनका निर्माण किया गया था। CPSE ETF तथा Bharat 22 ETF में EPFO ने जो भी इन्वेस्ट किया वो फायदेमंद नहीं साबित हुआ। गौर फरमाया जाए तो विगत 3 वर्षों में दोनों स्कीम में पैसा डूब चुका है।