EPS Pension Increase : EPFO सब्सक्राइबर को मिली इतनी बड़ी खुशखबरी, 333% बढ़ी EPS पेंशन

EPS Pension Update: कर्मचारी पेंशन योजना की पेंशन वृद्धों का सहारा है।निजी क्षेत्र के अंदर चल रहे कर्मियों के लिए अच्छी खबर आ रही है।60 साल के बाद 300 फीसदी से ज्यादा खर्च कर पेंशनरों की संख्या में उछाल आ सकता है। जानिए कैसे…

EPS Increase: निजी क्षेत्र के कर्मियों को भी जल्द राहत मिल सकती है।एक निर्णय से कर्मचारी भविष्य निधि में अंशदान करने वाले लाखों कार्मिकों की पेंशन को एक झटके में 300 प्रतिशत तक का उपयोग कर गुणा किया जा सकता है।कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने कर्मियों की पेंशन के लिए सबसे अधिक कमाई 15 हजार रुपये की प्राथमिक कमाई की है।यानी भले ही आपकी मासिक आय 15 हजार रुपये से अधिक हो, लेकिन आपकी पेंशन की गणना अधिकतम 15 हजार रुपये की आय पर ही की जा सकती है.

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एक और फैसला फिर पेंशन कई गुना बढ़ सकती है

ईपीएफओ की इस मुनाफा-सीमा को खत्म करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है।कर्मचारी पेंशन की गणना शेष वेतन यानी बेहतर वेतन ब्रैकेट पर भी की जा सकती है।इस फैसले से कर्मियों को अक्सर अधिक पेंशन मिलती है।आपको बता दें कि पेंशन पाने के लिए कर्मचारी भविष्य निधि में 10 साल तक योगदान करना बेहद जरूरी है।वहीं दो दशक की सेवा पूरी करने के बाद वर्षों का इंतजार दिया जाता है।अगर सुप्रीम कोर्ट प्रतिबंध हटाने का फैसला करता है तो इससे कितना फर्क पड़ेगा, आइए समझते हैं।

आपकी पेंशन अब कैसे बढ़ेगी ?

आधुनिक समय की व्यवस्था के अनुसार, यदि कोई कर्मचारी 1 जून, 2015 से चल रहा है और 14 साल की सेवा पूरी करने के बाद पेंशन लेना चाहता है, तो उसकी पेंशन की गणना 15,000 रुपये ही की जा सकती है, चाहे वह कितने भी साल का हो।चाहे 20,000 रुपये या 30,000 रुपये के प्राथमिक लाभ वर्ग के भीतर।पुराने सिस्टम के मुताबिक 14 साल की फिनिशिंग टच पर 2 जून 2030 से करीब 3000 रुपए पेंशन मिलती है।

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पेंशन में 333 फीसदी तक का उछाल आ सकता है

विदित हो कि ईपीएफओ की नीतियों के अनुरूप यदि कोई कर्मचारी बीस साल या उससे अधिक समय तक लगातार ईपीएफ में योगदान करता है तो उसके प्रदाता को अधिक से अधिक वर्ष दिए जाते हैं।इस प्रकार सेवा के 33 वर्ष पूर्ण हो जाते हैं, तथापि पेंशन की गणना 35 वर्ष के लिए की जाती है।ऐसे में उस कर्मचारी की कमाई में 333 फीसदी तक उछाल आ सकता है.

क्या है ये पूरा मामला

कर्मचारी पेंशन संशोधन योजना 2014 केंद्र सरकार द्वारा 1 सितंबर 2014 से एक अधिसूचना जारी कर लागू की जाती है।यह गैर-सार्वजनिक क्वार्टर कर्मियों द्वारा शत्रुतापूर्ण हो गया और 2018 में केरल उच्च न्यायालय में सुना गया।उन सभी कर्मियों को ईपीएफ और विविध प्रावधान अधिनियम, 1952 के तहत सुरक्षा प्रदान की गई है।कर्मचारियों ने इपीएफओ के नियमों का विरोध करते हुए कहा कि यह उन्हें कम पेंशन सुनिश्चित करता है। क्योंकि आमदनी 15 हजार से अधिक हो सकती है, लेकिन पेंशन की गणना अधिकतम 15 हजार रुपये ही की गई है।हालांकि केंद्र सरकार द्वारा एक सितंबर 2014 को किए गए संशोधन से पहले यह राशि 6500 रुपये थी।ईपीएफओ की नीतियों को अनुचित मानते हुए केरल उच्च न्यायालय ने कर्मचारियों की रिट को स्वीकार करते हुए चयन दिया था,इस पर ईपीएफओ ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल की, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया।

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क्या चला रहे है इससे जुड़े मुकदमे ?

जनवरी 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने 2019 के फैसले पर पुनर्विचार किया और मामले को सुनने का फैसला किया।केरल हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ श्रम मंत्रालय और ईपीएफओ की ओर से याचिका दायर की गई है।ईपीएफओ का मानना ​​है कि इस आदेश से पेंशन 50 गुना तक बढ़ सकती है।25 अगस्त को जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस अजय रस्तोगी की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के साथ ही इस मामले को तीन सदस्यीय बड़ी बेंच को रेफर करने का फैसला किया था मामला अभी भी लंबित है।

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