UP Election 2022 : देशभर में जहां मौसमी तापमान लगातार गिरता जा रहा है तो वहीं उत्तर प्रदेश में सियासी तापमान में लगातार इजाफा होता दिख रहा है. दरअसल, इसके पीछे की प्रमुख वजह ये है कि उत्तर प्रदेश में चुनावी बिगुल बज चुका है और सभी राजनैतिक दल विधानसभा चुनाव में विजय सुनिश्चित करने के लिए रणनीतिक तैयारियों में जुटे हैं. दलबदल का खेल भी अपने चरम पर है तो वहीं पार्टियों का गठबंधन और सीटों का बंटवारा लगातार सुर्खियों में है.
विधानसभा चुनाव में हो सकती हैं दिव्या प्रजापति उम्मीदवार
आज इन्ही सीटों के बंटवारे के मुद्दे को लेकर हम आपको ले चलते हैं सुलतानपुर के इसौली विधानसभा सीट पर जो समाजवादी पार्टी की प्रमुख सीट मानी जाती है. वहीं राजनैतिक बुद्धजीवियों की मानें तो इस बार इस सीट पर समाजवादी पार्टी की ओर से बड़ा खेल हो सकता है. दरअसल, इसौली से लेकर लखनऊ तक इस बात की चर्चा है कि यह सीट इस बार सपा गठबंधन के खाते में जा सकती है और यहां से भागीदारी पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व इसौली विधानसभा प्रभारी दिव्या प्रजापति (Divya Prajapati) उम्मीदवार हो सकती हैं.
भागीदारी पार्टी ने सपा के लिए खड़ी की मुश्किलें
भागीदारी संकल्प मोर्चा के मुखिया व पूर्व मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने पिछले 3 दिसंबर को दिव्या प्रजापति के समर्थन में क्षेत्र स्थित धम्मौर में विशाल जनसभा की थी. रैली के माध्यम से इस बात का संदेश दिया गया कि दिव्या प्रजापति यहां से सपा गठबंधन की उम्मीदवार हो सकती हैं. विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो वो अब लखनऊ में दिव्या प्रजापति की उम्मीदवारी के लिए डट गए हैं और इसौली सीट को गठबंधन के खाते में लाने की पूरी कोशिश में जुटे हैं. सूत्र तो यह भी दावे करते हैं कि ओमप्रकाश राजभर की सपा मुखिया अखिलेश यादव से इस विषय को लेकर कई बार बात भी हो चुकी है. इस प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार भी चल रहा है.
इसौली सीट पर भी फंसा सीट बंटवारे का पेंच
इसौली पर जहां सीट बंटवारे को लेकर बड़ा पेंच फंसता दिखाई दे रहा है तो वहीं चर्चाओं का बाजार इस बात को लेकर भी गर्म है कि दिल्ली में अधिकारी भरतलाल की पत्नी दिव्या प्रजापति की दावेदारी किसी से भी कमजोर नहीं है. वह लगातार क्षेत्र में जुटी हैं और उनका जनसंपर्क जोरदार तरीके से चल रहा है. फिलहाल, इसौली से वर्तमान विधायक अबरार अहमद, पूर्व सांसद ताहिर खान सरीखे दजर्नों नेता समाजवादी पार्टी से अपनी मजबूत दावेदारी पेश कर रहे हैं. अब तो यह वक्त ही तय करेगा कि बाजी कौन मारता है?
वैसे तो यह सीट ढाई दशक से सपा-बसपा के इर्द-गिर्द घूमती रही है लेकिन पिछले 10 वर्षों से यहां से समाजवादी पार्टी से अबरार अहमद विधायक के रूप में काबिज हैं. इसौली सीट पर बीजेपी अभी तक सिर्फ एक बार चुनाव जीत चुकी है. मोदी लहर में भाजपा प्रत्याशी रनर रहे और जीत का स्वाद चखने में नाकाम रहे. यूपी की यह सीट इतनी अहम है कि यहां से मुख्यमंत्री चुना गया था. इसी सीट से चुनाव जीतकर श्रीपति मिश्र CM बने थे.
करीब 4 लाख मतदाताओं वाली इस सीट पर सामान्य जाति के मतदाताओं के साथ ही अन्य पिछड़ा वर्ग और दलित मतदाताओं की तादाद अच्छी खासी है. मुस्लिम मतदाता भी इसौली सीट से चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाते हैं. इसी समीकरण का नतीजा है कि अबरार अहमद यहां से दो बार लगातार विधायक हैं. इस बार बसपा ने मोनू सिंह पर दांव लगाया है और भाजपा में कई दावेदार हैं जो अपने टिकट के ऐलान का इंतजार कर रहे हैं.
वहीं समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने अपने कार्यकर्ताओं तथा किसानों के साथ अन्न संकल्प लिया है. दरअसल उन्होंने अपनी मुट्ठी में गेहूं और चावल लेकर भाजपा को इस विधानसभा चुनाव में पराजित करने का संकल्प लिया है.